
केंद्र राज्य सबंध -भारत का संविधान अपने स्वरुप में संघीय है और सारी शक्तियां केंद्र और राज्य में बिभाजित है। संविधान में एकल न्यायिक ब्यवस्था की गयी है जो केंद्रीय कानूनों की तरह राज्य कानून को लागू करती है वैसे केंद्र और राज्य अपने अपने क्षेत्र में स्वतंत्र हैं। पर सघीय तंत्र के क्रियान्वन के लिए आपसी सामंजस्य जरूरी है।
विधाई सम्बन्ध -संविधान के भाग 11 में अनुच्छेद 245 से 255 तक केंद्र राज्य विधाई संबंधों की चर्चा की गई है किसी अन्य संघीय संविधान की तरह भारतीय संविधान भी केंद्र एवं राज्यों के बीच उनके क्षेत्र के हिसाब से विधाई शक्तियों का बंटवारा करता है इसके अतिरिक्त संविधान पांच असाधारण परिस्थीतियों के अंतर्गत राज्य क्षेत्र में संसदीय विधान सहित कुछ मामलों में राज्य विधान मंडल पर केंद्र के नियंत्रण की ब्यवस्था करता है। संसद पूरे भारत या इसके किसी भी क्षेत्र के लिए कानून बना सकती है और राज्य विधानमंडल पूरे राज्य या उसके किसी क्षेत्र के लिए कानून बना सकता है पर उसके द्वारा बनाये गए कानून को राज्य के बाहर लागू नहीं कराया जा सकता है ,केवल संसद अकेले अतिरिक्त क्षेत्रीय कानून बना सकती है इस तरह संसद का कानून भारतीय नागरिक और उसकी विश्व में कहीं भी संपत्ति पर लागू होता है।
नोट -पर अगर राज्य हित में जरूरी हो तो केंद्र कानून बना सकता है पर इसके लिए राजयसभा को यह घोषणा करना होगा की यह राष्ट्रहित के लिए आवश्यक है और ऐसे किसी प्रस्ताव को संसद में दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिलना चाहिए ,और आपातकाल की परिस्थिति में भी केंद्र सरकार राजयसूचि में निहित कानू बना सकती है।
प्रशासनिक सम्बन्ध -भाग 11 के अनुच्छेद 256 से 263 तक केंद्र व राज्य के बीच प्रशासनिक संबंधों का उल्लेख्य किया है केंद्र और राज्य के बीच कुछ मामलों को छोड़कर कार्यकारी शक्तियों का बंटवारा किया गया है इस प्रकार केंद्र की कार्यकारी शक्तियां पूरे भारत में विस्तृत है। संविधान ने राज्यों के कार्यकारी शक्तियों के सबंध में उन पर दो प्रतिबन्ध आरोपित किये हैं -; संसद द्वारा निर्मित किसी विधान का अनुपालन सुनिश्चित करना एवं राज्यों से सम्बंधित कोई वर्तमान विधान ,राज्य में केंद्र की कार्यपालिका शक्ति को बाधित या इसके सम्बन्ध में पूर्वग्रह ना रखना ,दोनों मामलों में केंद्र की कार्यकारी शक्तियां इस हद तक विस्तृत हैं की वे अप्रत्यक्ष रूप से राज्यों को यह निर्देश देती हैं की केंद्र का कानून उनके क़ानून से ज्यादा मान्य होगा।
वित्तीय सम्बन्ध-संविधान के भाग 12 के अनुच्छेद 268 से 293 तक केंद्र और राज्य वित्तीय संबंधों का उलेख्य है जिसमे कराधान शक्तियों का बंटवारा है संसद के पास कर निर्धारण का विशेष अधिकार है और राज्य विधानमंडल के पास राजयसूचि पर कर निर्धारण का विशेष अधिकार है कर निर्धारण के मामले में कुछ कर केंद्र द्वारा लगाए जाते हैं उगाहे भी जाते हैं ,कुछ केंद्र द्वारा लागू किये जाते हैं पर राज्य द्वारा उगाहे जाते हैं और उसका उपयोग किये जाते हैं और कुछ करों का संकलन दोनों द्वारा किया जाता है और राज्यों के बीच बाँट दिया जाता है पर कुछ करों पर केंद्र का पूर्ण अधिकार होता है
नोट-केंद्र और राज्यों के बीच आपसी सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध के लिए कुछ सिमित का गठन किया गया जिनका उल्लेख्य किया जा रहा है जैसे-;राजमन्नार सिमित ,आनंदपुर साहिब प्रस्ताव,सरकारिया आयोग आदि।
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