नागरिकता का महत्त्व -किसी भी अन्य आधुनिक राज्य की तरह भारत में भी दो तरह के लोग निवास करते हैं,नागरिक और विदेशी,भारतीय नागरिक राज्य के पूर्ण सदस्य होते हैं और उनकी इस पर पूरी निष्ठा होती है। इन्हे सारे समान्य और राजनितिक अधिकार प्राप्त होते हैं और दूसरी तरफ विदेशियों को किसी अन्य देश का नागरिक होने के कारण उन्हें उन्हें सभी नागरिक और राजनितिक अधिकार नहीं दिए जाते। और इसको दो भागों में बांटा गया है बिदेशी मित्र एवं शत्रु,मित्र वो होते हैं जिनके साथ भारत के अच्छे सम्बन्ध हैं और सत्रु वे हैं जिनके साथ भारत के सम्बन्ध अच्छे न हों और युद्ध की स्थिति हो।
भारतीय नागरिकों को मिलने वाले विशेषाधिकार-हमारा संविधान हमें कुछ विशेष अधिकार देता है जोकि विदेशियों को नहीं मिलते हैं जोकि इस प्रकार हैं -धर्म,मूल,वंश,जाति,लिंग,या जन्म के आधार पर भेद भाव न करना जिसका उल्लेख्य अनुच्छेद 15 में है,सरकारी रोजगार के विषय में समानता अनुच्छेद 16 ,घूमने ,विचार व्यक्त करने,सम्मलेन,संघ,संचरण,कहीं भी निवेश,और ब्यवसाय करने की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19 ,संस्कृत एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार,मतदान का अधिकार,चुनाव लड़ने का अधिकार,सार्वजनिक पदों जैसे राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति राज्यपाल,न्यायधीश एवं महान्यायवादी और महाधिवक्ता की योग्यता रखने अधिकार।
नोट -भारत के नागरिक जन्म से या प्राकृतिक रूप से राष्ट्रपति बनने की योग्यता रखते हैं जबकी अमेरिका में केवल जन्म से ही नागरिक राष्ट्रपति बन सकता है।
संवैधानिक उपबंध -संविधान के भाग 2 के अनुच्छेद 5 से 11 तक नागरिकता का उल्लेख्य है भारत की नागरिकता प्राप्त करने की पांच शर्तें हैं जैसे -
जन्म से -भारत में २६ जनवरी 1950 को या उसके बाद लेकिन 1 जुलाई 1947 से पहले जन्मा ब्यक्ति अपने माता पिता के जन्म की रस्त्रयता के बावजूद भारत का नागरिक होगा पर सर्त ये है की माता पिता में से एक भारत का नागरिक होना चाहिए।
वंश के आधार पर -कोई ब्यक्ति जिसका जन्म २६ जनवरी 1950 को या उसके बाद लेकिन 10 दिसम्बर 1992 से पहले भारत के बाहर हुआ हो वह वंश के आधार पर भारत का नागरिक बन सकता है यदि जन्म के समय उसका पिता भारत का नागरिक हो। पर 3 दिसंबर 2004 के बाद भारत से बहार जन्मा कोई ब्यक्ति वंश के आधार पर भारत का नागरिक नहींहो सकता है। यदि जन्म के एक साल के अंदर भारत में उसके जन्म का पंजीकरण न करा दिया गया हो।
पंजीकरण के द्वारा -केंद्र सरकार आवेदन मिलने पर किसी को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत कर सकती है ,यदि वह भारतीय मूल का ब्यक्ति जो नागरिकता प्राप्ति के आवेदन देने से पूर्व सात साल भारत में रह चूका हो,वह ब्यक्ति जिसने भारतीय नागरिक से विवाह किया हो,भारतीय नागरिक के नाबालिग बच्चे ,कोई ब्यक्ति जो पूरी आयु और छमता का हो और समुद्र पार किसी देश के नागरिक के रूप म पांच साल से पंजीकृत हो।
प्राकृतिक रूप से -केंद्र सरकार आवेदन मिलने पर किसी को नागरिकत प्रदान कर सकती है अगर वह ये योग्यता रखता है -ऐसे देश से न हो जहा भारतीय नागरिक नहीं बन सकते,किसी अन्य देश के नागरिक होने पर भारतीय नागरिकता प्राप्ति के आवेदन से पहले सम्बंधित देश की नागरिकता त्यागनी होगी। चरित्र अच्छा हो ,आठवीं अनसूचि में उल्लेखित किसी भाषा का ज्ञाता हो।
क्षेत्र अधिग्रहण द्वारा -अगर भारत सरकार किसी बहरी क्षेत्र का अधिग्रहण करती है तो उस क्षेत्र में निवेश करने वाले ब्यक्तियों को भारत का नागरिक घोषित कर सकती है।
नागरिकता समाप्ति -संविधान में नागरिकता खोने के तीन कारन बताये गए हैं जो इस प्रकार हैं-
स्वैच्छिक त्याग -एक भारतीय नागरिक जो पूर्ण आयु और छमता का हो अपनी नागरिकता त्याग सकता है पर ऐसे आवेदन को एक तरफ रखा जा सकता है अगर भारत युद्ध में ब्यस्त हो। पर उस नागरिक के बच्चे 18 वर्ष के होने पर भारत के नागरिक बन सकते हैं।
बर्खास्तगी के द्वारा-किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर लेने पर भारतीय नागरिकता स्वतः बर्खास्त जाती है पर यह ब्यवस्था तब नहीं लागु होगी जब भारत युद्ध में ब्यस्त हो।
वंचित करने के द्वारा -केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक रूप से नागरिकता को बर्खास्त करना होगा यदि -नागरिकता फर्जी तरीके से प्राप्त की गयी हो ,संविधान के प्रति अनादर जताया हो,युद्ध के दौरान सत्रु के साथ सम्बन्ध स्थापित किया हो ,किसी देश में दो साल की कैद हुई हो,भारत के बाहर सात वर्षों रह रहा हो।
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