आपातकाल का मूल अधिकारों पर प्रभाव -अनुच्छेद 358 और 359 राष्ट्रीय आपातकाल में मूल अधिकारों के प्रभाव का वर्णन करते हैं जिसमे अनुच्छेद 358 अनुच्छेद 19 के तहत आने वाले मूलाधिकारों के निलंबन से सम्बन्धित है जबकि अनुच्छेद 359 अन्य मूल अधिकारों के निलंबन से सम्बंधित है लेकिन अनुच्छेद 20 एवं 21 के तहत आने वाले अधिकार निलंबित नहीं होते आपातकाल में।
अनुच्छेद 19 के तहत आने वाले अधिकारों का निलंबन - अनुच्छेद 358 के अनुसार जब राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की जाती है तब अनुच्छेद 19 द्वारा मिले मूल अधिकार स्वतः ही निलंबित हो जाते है इनके लिए किसी अलग आदेश की जरूरत नहीं पड़ती आपातकाल लागू होने पर राज्य अनुच्छेद 19 के तहत आने वाले अधिकारों को कम कर सकता है और हटाने के लिए कानून बना सकता है और आपातकाल समाप्त होने पर अनुच्छेद १९ के तहत आने वाले अधिकार स्वतः सक्रीय हो जाते हैं लेकिन अनुच्छेद 19 के तहत आने वाले छह अधिकारों का निलंबन युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर ही होता है ना की ससस्त्र विद्रोह के आधार पर।
अन्य मूल अधिकारों का निलंबन -अनुच्छेद 359 राष्ट्रपति को मूल अधिकारों को लागू करने के लिए न्यायालय में जाने के अधिकार को निलंबित करने के लये अधिकृत करता है इसका मतलब अनुच्छेद 359 के तहत मूल अधिकार नहीं उनका लागू होना निलंबित होता है। और यह निलंबन उन्ही मूल अधिकारों से सम्बंधित होता है जिनका राष्ट्रपति के आदेश में वर्णन होता है। और इसे मंजूरी के लिए संसद के प्रत्येक सदन में पेश होना होता है।
अनुछेद 358 और 359 में अंतर-अनुच्छेद 358 केवल अनुच्छेद 19 के अंतर्गत आने वाले अधिकारों से सम्बंधित है जबकि अनुच्छेद 359 उन सभी मूल अधिकारों से सम्बंधित है जिनका राष्ट्रपति के आदेश द्वारा निलंबन होता है ,अनुच्छेद 358 स्वतः ही मूल अधिकारों का निलंबन कर देता है जबकि 359 राष्ट्रपति को शक्ति देता है की वह मू अधिकारों के निलंबन को लागू करे ,अनुच्छेद 358 केवल बाहरी आपातकाल के आधार पर लागू होता है जबकि 359 आंतरिक और बाहरी आपातकाल दू पर लागू होता है ,अनुच्छेद 358 मूल अधिकारों का निलंबन सम्पूर्ण अवधि के लिए करता है जबकि 359 राष्ट्रपति द्वारा उलेख्य किये गए अवधि के लिए लागू होता है ,अनुच्छेद 358 सारे देश में जबकि 359 सम्पूर्ण देश या किसी क्षेत्र में भी लागू किया जा सकता है।
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