आपातकालीन प्रावधान -संविधान के भाग 18 में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकालीन प्रावधान उल्लिखित है ये प्रावधान केंद्र को किसी भी आसामान्य स्थिति से प्रभावी रूप से निपटने में सक्षम बनाते हैं जिसका संविधान में जोड़ने का उद्देश्य देश की स्वतंत्रता,सम्प्रभुता एवं एकता ,अखंडता को सुरक्षित करना है। आपातकाल के समय केंद्र सरकार के पास साड़ी शक्ती आ जाती है और सारे राज्य केंद्र के नियंत्रण में आ जाते हैं इस तरह भारत का संविधान परस्थितियों के हिसाब से एकात्मक एवं संघीय हो सकता है। आमतौर पर यह संघीय ब्यवस्थाके रूप में कार्य करता है पर आपातकाल में एकात्मक हो जाता है।
संविधान में तीन तरह के आपातकाल का उल्लेख्य है जैसे-;
(1 )युद्ध बाहरी आक्रमण और ससस्त्र विद्रोह के कारण लगाए गए आपातकाल को रस्त्र्य आपातकाल के नाम से जाना जाता है जोकि अनुच्छेद 352 के तहत लगाया जाता है।
(2 )संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर लगाए गए आपातकाल को राष्ट्रपति शासन के नाम से जाना जाता है जोकि अनुच्छेद 356 के तहत लागू होता है।
(3 )बित्तीय स्थाईत्व एवं शाख के खतरे के आधार पर लगाए गएआपात्काल को वित्तीय आपातकाल कहा जाता है जोकि अनुच्छेद 360 के तहत लागू होता है।
राष्ट्रीय आपातकाल घोषणा का आधार-अगर भारत को या इसके किसी भाग की सुरक्षा को युद्ध या बाहरी आक्रमण या फिर ससस्त्र विद्रोह के आधार पर खतरा उत्पन्न होता है तो अनुच्छेंद 352 के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है ,जब राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर की जाती है तो इसे बाहरी आपातकाल कहा जाता है और ससस्त्र विद्रोह के आधार पर घोषित आपातकाल को आंतरिक आपातकाल कहा जाता है जिसको सम्पूर्ण देश या इसके किसी एक भाग में लागू किया जा सकता है। लेकिन राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा मंत्रिमंडल के लिखित सिफारिस पर ही कर सकता है इसका अर्थ यह है की सिर्फ प्रधानमंत्री की सिफारिस से आपातकाल नहीं लागू किया जा सकता है
संसदीय अनुमोदन -आपातकाल की उद्घोषणा जारी होने के एक माह के भीतर संसद के दोनों सदनों से अनुमोदित होना जरूरी है अगर आपातकाल की घोषणा ऐसे समय होती है जब लोकसभा बिघटित हो गयी हो तो लोकसभा के पुनर्गठन के बाद पहली बैठक से 30 दिन तक उद्घोषणा जारी रहेगी पर इस बीच राजयसभा द्वारा इसका अनुमोदन कर दिया गया हो। आपातकाल की उद्घोषणा और जारी रखने का प्रस्ताव प्रत्येक सदन से बहुमत से पारित होना चाहिए।
समाप्ति -राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल के उद्घोषणा की समाप्ति किसी भी समय दूसरी उद्घोषणा से हो जाती है और इसे संसद के अनुमोदन की जरूरत नहीं है।
आपातकाल के प्रभाव -आपातकाल के समय केंद्र की शक्तियों का विस्तार हो जाता है और वह राज्यों को किसी भी विषय पर कार्यकारी निर्देश दे सकता है और राज्य सरकार पूर्णतः केंद्र के नियंत्रण में हो जाती है ,आपातकाल के समय संसद को राजयसूचि के विषय पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त हो जाता है और संसद द्वारा राज्य के विषय पर बनाया गया कानून आपातकाल की समाप्ति पर छह माह तक प्रभावी रहता है ,राष्ट्रीय आपातकाल लागू होने पर राष्ट्रपति केंद्र एवं राज्यों के बीच करों के वितरण को संसोधित कर सकता है रास्ट्रपति द्वारा जारी आदेश को दोनों सदनों के सभा पटल पर रखा जाना आवश्यक है।
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