मूल अधिकार - संविधान के भाग तीन में अनुच्छेद 12 से 35 तक इसका उल्लेख्य है जोकि अमेरिकी संविधान से लिया गया है और संविधान के भाग तीन को अन्य उपनाम भारत के मैगनाकार्टा के नाम से जाना जाता है मूल अधिकार के सम्बन्ध में जितना विस्तृत विवरण हमारे देश के संविधान में है उतना अन्य किसी देश में नहीं मिलता। चाहे फिर अमेरिका ही हो। बिना किसी भेद भाव के हर ब्यक्ति के लिए मूल अधिकारों के सम्बन्ध में संविधान द्वारा गॉरन्टी दी गयी है,जिसमे हर ब्यक्ति के लिए समानता,स्वतंत्रता,सम्मान ,एकता को समाहित किया गया है,मूल अधिकार का मतलब लोकतंत्र के आदर्शों से है ये अधिकार राज्य के कठोर नियमों के खिलाफ नागरिकों की आजादी की सुरक्षा करते हैं। कानून बनाने के सन्दर्भ में तानासाही को सीमित करते हैं।
-मूलरुप से संविधान में सात अधिकार थे पर 44वें संविधान संसोधन के माध्यम से संपत्ति के अधिकार को हटाकर भाग 12 के अनुच्छेद 300 A के तहत कानूनी अधिकार बना दिया गया।
इस तरह सिर्फ 6 मूल अधिकार हैं।
मूल अधिकार की विषेशताएं -मूल अधिकार की कुछ विशेस्ताएं हैं जो इस प्रकार हैं -
(1 )मूल अधिकार कुछ सिर्फ नागरिकों के लिए हैं जबकि कुछ अन्य के लिए भी चाहे वे विदेशी हों या कानूनी ब्यक्ति,कंपनी ,या अन्य परिषद्।
(2 )ये असीमित नहीं हैं लेकिन वाद योग्य हैं राज्य इस पर प्रतिबन्ध लगा सकता है प्रतिबन्ध लगाने का कारण उचित है या नहीं इसका निर्णय अदालत करती है।
(3 )कुछ मामलों को छोड़कर इनमें से ज्यादातर अधिकार राज्य के मनमानी के खिलाफ है,कुछ नकारात्मक विषेशताओं वाले होते हैं जैसे राज्य के अधिकार को सिमित करने से सम्बंधित और कुछ सकारात्मक होते हैं जैसे ब्यक्तियों के लिए विशेष सुविधाओं का प्रावधान।
(4 )मूल अधिकार न्यायोचित हैं जोकि ब्यक्ति को अदालत जाने की अनुमति देते हैं जब इनका उल्लंघन होता है,इन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा गॉरन्टी दी गयी है हलाकि पीड़ित ब्यक्ति के पास विकल्प होता है की चाहे वो उच्चतम न्यायालय जाये या उच्च न्यायालय ,मूल अधिकार स्थाई नहीं हैं संसद इनमे कटौती कर सकती है।
(5 ) राष्ट्रीय आपातकाल के समय अनुच्छेद 20 और 21 के अंतर्गत आने वाले अधिकार को छोड़कर बाकी को निलंबित किया जा सकता है अनुच्छेद 19 के अंतर्गत आने वाले 6 अधिकार तभी स्थगित होते हैं जब युद्ध या विदेशी आक्रमण के आधार पर आपातकाल की घोषणा की गयी हो।
राज्य की परिभाषा -मूल अधिकारों से सम्बंधित बिभिन्न उपबंधों में राज्य सब्द का प्रयोग हुआ है राज्य के अंतर्गत अग्रलिखित शामिल हैं -कार्यकारी और बिधायी अंगों संघीय सरकार में क्रियान्वित करने वाली सरकार एवं संसद ,बिधायी अंगों को प्रभावी करने वाली राज्य सरकार एवं बिधानमण्डल ,स्थानीय निकाय एवं नगरपालिका।
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