राष्ट्रपति पर महाभियोग -राष्ट्रपति पर संविधान का उल्लंघन करने पर महाभियोग चलकर उसे पद से हटाया जा सकता है महाभियोग का आरोप संसद के किसी भी सदन लाया जा सकता है इस आरोप पर उस सदन के एक चौथाई सदस्यों का हस्ताक्षर होना चाहिए और राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस देना चाहिए। महाभियोग का प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पारित होकर दुसरे सदन में जाता है जिसे इन आरोपों की जांच करनी चाहिए यदि दूसरा सदन आरोपों को सही पाता है और महाभियोग प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत से पारित कर देता है तो राष्ट्रपति को प्रस्ताव पारित तिथि से हटना होगा।
संसद के दोनों सदनों के नामांकित सदस्य जिन्होंने चुनाव में भाग नहीं लिया था वो इस महाभियोग में भाग ले सकते हैं लेकिन राज्य विधानसभओं के सदस्य निर्वाचित या मनोनीत इसमें भाग नहीं ले सकते हैं।
राष्ट्रपति के पद की रिक्तता -पांच वर्ष का कार्यकाल समाप्त होने पर ,त्यागपत्र देने पर,उसकी मृत्यु पर,या फिर पद ग्रहण के काबिल ना हो।
अगर पद रिक्त का कारण उसके कार्यकाल का समाप्त होना है तो उस पद को भरने के लिए कार्यकाल पूरा होने से पहले चुनाव करना चाहिए अगर चुनाव मेदेरी हो तो राष्ट्रपति अपने पद पर बना रहेगा जब तक उत्तराधिकारी पद ग्रहण ना कर ले।
अगर उसका पद मृत्यु,त्यागपत्र,निष्कासन के कारण रिक्त हो तो उपराष्ट्रपति नए राष्ट्रपति के निर्वाचन होने तक कार्यभार संभालेगा राष्ट्रपति के तौर पर यदि उपराष्ट्रपति का भी पद रिक्त हो तो भारत का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के तौर पर कार्य करेगा ,जब कोई राष्ट्रपति के तौर पर कार्य करता है तो उसे राष्ट्रपति को मिलने वाले वेतन भत्ते मिलते हैं।
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