शोषण के विरुद्ध अधिकार -अनुच्छेद 23 से 24 तक इसका उल्लेख्य है जो इस प्रकार है -;
अनुच्छेद 23 -यह अनुच्छेद मानव तस्करी ,बेगार,(बलात श्रम)आदि पर प्रतिबन्ध लगाता है। इसके अंतर्गत कोई उल्लंघन कानून के अनुसार दंडनीय होगा यह अधिकार नागरिक और गैर नागरिक दोनों के लिए उपलब्ध होगा ,मानव तस्करी के अंतर्गत आता है पुरुष ,महिला एवं बच्चों की बस्तु की तरह खरीद बिक्री,बेश्यावृत्ति ,देवदासी और किसी को दाश बना कर रखना शामिल है। ऐसे कृत्यों के करने पर दण्डित करने के लिए सरकार ने अधिनियम 1956 बनाया गया है।
बेगार का मतलब है बिना मेहनताने के कोई काम कराना यह अनुच्छेद बेगार के अलावा बलात श्रम और बंधुआ मजदूरी पर रोक लगाता है। पर यह राज्य को अनुमति प्रदान करता है की सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए अनिवार्य सेवा उदाहरण के तौर पर सैन्य सेवा या सामाजिक सेवा आरोपित कर सकती है।
अनुच्छेद 24 -किसी फैक्ट्री ,कारखाना अथवा अन्य संकटमय गतिविधियों यथा निर्माण कार्य एवं रेलवे में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध करता है। बाल श्रम अधिनियम 1986 इस दिशा में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कानून है। इसके अलावा बाल नियोजन अधिनियम 1938 ,कारखाना अधिनियम 1948 , आदि महत्वपूर्ण अधिनियम हैं,1996 में उच्चतम न्यायालय ने बाल श्रम पुनर्वास कल्याण कोष की स्थापना का निर्देश दिया जिसमे बालकों को नियोजित करने वाले द्वारा प्रति बालक 20 हजार रूपए जमा कराने का प्रावधान है। इसने बच्चों की शिक्षा ,स्वास्थय एवं पोषण में सुधार के निर्देश दिए गए।
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