संविधान के भाग एक के अनुच्छेद 1 से 4 तक में संघ एवं उसके क्षेत्र का उल्लेख्य है।
भारत राज्यों का संघ -अनुच्छेद 1 में उल्लेख्य है की भारत राज्यों का समूह न होकर राज्यों का संघ होगा इसका मतलब है की भारतीय संघ राज्यों के बीच किसी समझौते का परिणाम नहीं है जैसे की अमेरिका यहां पर राज्यों को संघ से अलग होने का कोई अधिकार नहीं है,भारत एक संघ है जो की अलग नहीं हो सकता। जिसे अनुच्छेद 1 के अंतर्गत तीन श्रेणी में बांटा गया है -राज्यों का क्षेत्र ,संघ क्षेत्र ,भारत सरकार द्वारा अधीग्रहीत किया जाने वाला क्षेत्र।
राज्यों एवं संघ शासित राज्यों के नाम और उनके क्षेत्र के विस्तार का उल्लेख्य संविधान की पहली अनुसूची में है इस समय 28 राज्य और 9 केंद्रशासित राज्य हैं जिसमे राज्यों के लिए संविधान के भाग 21 के अंतर्गत विशेष उपबंध है। एक संप्रभु राज्य होने के नाते भारत अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत विदेशी क्षेत्र का भी अधिग्रहण कर सकता है।
अनुच्छेद 2 -इसके तहत संसद को शक्ति दीं गयी है कि संसद कानून के द्वारा ऐसी शर्तों पर जो वह ठीक समझे संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकती है ,अनुच्छेद 2 संसद को दो शक्तियां प्रदान करता है -नए राज्यों का भारतीय संघ में शामिल करना,नए राज्यों के गठन की शक्ति, पहले में उन राज्यों के प्रवेश को लेकर है जो पहले से अस्तित्व में है और दुसरे में जो अस्तित्व में नहीं हैं उनके गठन को लेकर है।
अनुच्छेद 3 -इसमें भारतीय संघ के नए राज्यों के निर्माण या वर्तमान राज्यों में परिवर्तन से सम्बंधित है दुसरे शब्दों में कहें तो राज्यों के पुनर्गठन से सम्बंधित है।
संसद की शक्ति राज्य पुनर्गठन मामले में -किसी राज्य में से उसका राज्य क्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को मिला कर नए राज्य का निर्माण करना ,किसी राज्य क्षेत्र को बढ़ा सकती है ,किसी राज्य का क्षेत्र घटाना ,सीमाओं में परिवर्तन ,राज्य के नाम में परिवर्तन ,पर ये करने के लिए दो शर्तों का पालन करने का उल्लेख्य है परिवर्तन से सम्बंधित कोई अध्यादेश राष्ट्रपति की पूर्वमंज़ूरी से ही संसद में पेस किया सकता है ,संस्तुती से पहले राष्ट्रपति उस अध्यादेश को सम्बंधित राज्य के विधानमंडल का मत जानने के लिए भेजता है।
जोकि निश्चित सीमा के भीतर दिया जाना चाहिए ,जिसे मानने के लिए राष्ट्रपति बाध्य नहीं है।
अनुच्छेद 4 -संविधान में यह घोषित किया गया है की नए राज्यों का गठन ,निर्माण ,सीमाओं क्षेत्रों या नामो में परिवर्तन को संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संसोधन नहीं मन जायेगा मतलब इस तरह का कानून साधारण प्रक्रिया और सामान्य बहुमत द्वारा पारित किया जा सकता है।
सिमित -नए राज्यों के गठन हेतु कुछ सिमित का गठन किया गया था जोकि इस प्रकार हैं -धर आयोग ,जेवीपी सिमित ,फजल अली आयोग ,अक्टूबर १९५३ में भाषा के आधार पर पहले राज्य का गठन किया गया मद्रास से अलग कर आंध्रप्रदेश को।
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