मंत्रिमंडलीय सिमितियाँ -
मंत्रिमंडलीय सिमितियाँ गैर संवैधानिक होती हैं और ये दो प्रकार की होती हैं स्थाई एवं तदर्थ जो अस्थाई होती हैं इनका गठन समय समय आवस्यकता अनुसार किया जाता है और कार्य संपन्न होने पर इनका बिघटन कर दिया जाता है और इनका गठन प्रधानमंत्री के द्वारा किया जाता है और इनकी संख्या समय के साथ बदलती रहती है।
आमतौर पर इनकी सदस्य संख्या तीन से आठ तक हो सकती है और इसके सदस्य कैबिनेट मंत्री होते हैं लेकिन गैर कैबिनेट भी हो सकते हैं और सिमित के प्रमुख आम तौर पर प्रधानमंत्री होते हों पर कभी कभी गृहमंत्री या वित्तमंत्री भी हो सकते हैं लेकिन अगर प्रधानमंत्री उस सिमित का सदस्य है तो वही सिमित की अध्यक्षता करेगा।
सिमितियाँ मुद्दों का हल तलाशने के साथ साथ मंत्रिमण्डल के विचार हेतु प्रस्ताव बनाती हैं और निर्णय लेती हैं पर मंत्रिमंडल इनके निर्णयों की समीक्षा कर सकता है ,सिमितियाँ मंत्रिमंडल के कार्य की अधिकता को कम करती हैं।
महत्वपूर्ण सिमितियाँ-
चार अत्यधिक महत्वपूर्ण सिमितियाँ हैं जिनका यहां पर उल्लेख्य किया जा रहा है जो इस प्रकार हैं -;
(1)राजनितिक मामलों की सिमित राजनीतिक परिस्थितियों से सम्बंधित मामले देखती है।
(2 )आर्थिक मामले की सिमित आर्थिक क्षेत्र की सरकारी गतिविधियों को निर्देशित करती है और उनमे सामंजस्य बिठाती है।
(3 )नियुक्ति सिमित केंद्रीय सचिवालय लोक उद्दमों ,बैंकों,एवं वित्तीय संस्थाओं में सभी उच्च पदों पर नियुक्ति के सबंध में निर्णय लेती है।
(4)संसदीय मामलों की सिमित संसद में सरकार की भूमिका एवं कार्यों को देखती है।
पहली तीन की अध्यक्षता प्रधानमंत्री और संसदीय सिमित की अध्यक्षता गृहमंत्री करते हैं और सभी सिमितियों में राजनितिक मामले की सिमित सबसे शक्तिशाली मानी जाती है।
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