उच्चतम न्यायालय -
भारतीय एकल न्यायिक ब्यवस्था में उच्च न्यायालय का स्थान उच्चतम न्यायालय के बाद आता है एवं अधीनस्थ न्यायालयों के ऊपर आता है लेकिन राज्य में इसकी स्थिति सर्वोच्च होती है। भारत में उच्च न्यायालय का गठन सबसे पहले 1962 में हुआ था जिसके तहत कलकत्ता ,बम्बई,और मद्रास उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी और 1866 में अल्लाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना हुई इस समय देश में 24 उच्च न्यायालय एवं 4 साझा उच्च न्यायालय हैं। संघ क्षेत्रों में केवल दिल्ली ही ऐसा राज्य है जिसका अपना उच्च न्यायालय है।
संविधान के भाग 6 में अनुच्छेद 214 से 231 तक उच्च न्यायलय के गठन ,शक्तियों आदि का उल्लेख्य किया गया है
उच्च न्यायालय का संगठन-
प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और उतने न्यायाधीश होते हैं जितने राष्ट्रपति निर्धारित करता है इस तरह संवधन में न्यायाधीशों की संख्या का उल्लेख्य ना कर राष्ट्रपति के विवेक पर छोड़ दिया गया है जिसे राष्ट्रपति कार्य आवस्यकतानुसार निर्धारित करता है।
न्यायधीशों की नियुक्ति -
उच्च न्यायालय के न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है पहले उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श एवं सम्बंधित राज्य के राज़्यपाल के परामर्श से की जाती है उसके बाद अन्य न्यायधीशों की नियुक्ति में सम्बंधित उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश के परामर्श से की जाती है राष्ट्रपति के द्वारा लेकिन अब केवल उच्च न्यायलय के न्यायाधीशों के नियुक्ति में भारत का मुख्य न्यायाधीश ही नहीं दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों की भी संस्तुति जरुरी है।
न्यायाधीशों की योग्यता -
भारत का नागरिक हो,भारत के न्यायिक कार्य का 10 वर्ष का अनुभव हो,या फिर किसी उच्च न्यायालय में लगातार 10 साल तक अधिवक्ता रह चुका हो। पद संभालने से पहले उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राज़्यपाल के सामने या फिर उसके द्वारा नियुक्त किसी अन्य ब्यक्ति के सामने सपथ लेता है।
न्यायाधीशों का कार्यकाल 62 की उम्र तक का होता है आयु से सम्बन्धी किसी वषय का निर्णय राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से करता है पर इससे पहले भी न्यायाधीश राष्ट्रपति को त्यागपत्र दे सकता है,या फिर संसद की सिफारिश पर राष्ट्रपति हटा सकता है जिसके लिए प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों से विशेष बहुमत से पारित होना होगा जोकि महाभियोग प्रक्रिया के द्वारा संपन्न होगा ठीक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की तरह।
उच्च न्यायलय की शक्तिया एवं क्षेत्र-
उच्चतम न्यायालय की ही तरह उच्च न्यायालय को भी ब्यापक शक्तियां दी गयी हैं जैसा की आप जानते हैं की यह राज्य में अपील करने का सर्वोच्च न्यायालय होता है नागरिकों के मूल अधिकारों का रक्षक होता है एवं संविधान की ब्याख्या करने की भी शक्ति इसके पास है और इसके द्वारा सुनाये गए फैसले राज्य के अंदर स्थित सभी अधीनस्थ न्यायालयों पर बाध्य है और उच्च न्यायलय भी एक अभिलेखीय न्यायालय है जिसका मतलब इसके द्वारा सुनाये गए किसी फैसले को साक्ष्य के तौर पर रख्हा जा सकता है एवं न्यायालय की अवमानना पर साधारण या फिर आर्थिक या दोनों प्रकार के दंड देने का अधिकार है। इसके द्वारा सुनाये गए फैसले के खिलाफ केवल उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है।
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