भारत में यूरोपियों का आना कैसे हुआ -;
15वीं ईसवी से लेकर 19वीं तक यूरोप में आर्थिक परिवर्तन का काल माना जाता है ये वही दौर था जब लोग कृषि से बिनिर्माण की ओर अग्रसर हो रहे थे और मशीनो का प्रयोग बढ़ रहा था मतलब हम कह सकते हैं की औद्योगिक पुनर्जागरण का काल था और साथ ही साथ प्रतियोगिता बढ़ती जा रही थी। और 15वीं सदी में यूरोपीय शक्तियां नए विकल्प और क्षेत्रों की तलाश शुरू कर दी और इस दौरान कैसे और कौन कौन यूरोपीय भारत में आये हम उसकी बात करेंगे तो सबसे पहले पुर्तगाली भारत आये।
पुर्तगालियों का भारत में आगमन -;
पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा ने 17 मई 1498 को भारतीय मार्ग की खोज की और कलकत्ता पहुंचा और अपनी समुद्री शक्ति की वजह से भारतीय क्षेत्रों में प्रभाव छोड़ा भारत में इनका आने का उद्देश्य तो ब्यापार करना था पर इनका छुपा हुआ मकसद ईशाई धर्म का प्रचार करना और उसमे परिवर्तित करना था और अरब को बाहर निकालकर ब्यापार पर एकाधिकार प्राप्त करना था।
भारत की स्थिति -जिस समय पुर्तगालियों का भारत में आगमन हुआ उस समय गुजरात के आलावा समस्त भारत टुकड़ों में बिभक्त था और ऐसी कोई शक्ति नहीं थी जिसके पास नौसैन्य शक्ति हो और किसी ने इसके गठन के बारे में सोचा भी नहीं ये सारी परस्थितियां पुर्तगालियों के अनुकूल थीं जिसका उन्होंने पुअर फयदा उठाया 1510 में पुर्तगालियों ने गोवा पर अधिकार कर लिया और उसे अपना प्रशासनिक केंद बनाया और पुर्तगाली गवर्नर अल्बुकर्क ने हिन्दू महिलाओं से विवाह की नीति अपनाई और भारत में पुर्तगालियों का प्रशासन मुखिया वॉयसरॉय होता था जोकि तीन वर्ष के लिए नियुक्त किया जाता था जोकि सचिव के साथ शासन चलाता था।
पुर्तगालियों की धार्मिक नीति -
भारत में पुर्तगालियों का आगमन ब्यापार और धार्मिक प्रचार के उद्देश्य से हुआ था जिसमे वे कुछ हद तक सफल भी हुए पर परस्थितियाँ कुछ ऐसी बानी की उन्होंने अधिक ब्यापारिक लाभ को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय क्षेत्रों को हाँथियाँ सुरु कर दिया और इस दौरान उन्होंने ईशाई धर्म प्रचारकों को खूब सहयोग दिया गिरजाघर बनवाये पर धर्म के मामले में उन्हें आसा अनुरूप सफलता नहीं मिली जबरन धर्म परिवर्तन के प्रयाश में भारतीय जनता के बीच में इनके प्रति नफरत भर गयी।
पुर्तगालियों का पतन-
सत्रहवीं सताब्दी तक पुर्तगाली साम्राज्य लगभग समाप्त हो गया और जिसकी जगह डच एवं अंग्रेजों ने ले लिया इनके पतन के कारण कुछ इस प्रकार हैं -;स्पेन के राजा के साथ जुड़ने की वजह से स्पेन के साथ इसका भी पतन हो गया,पुर्तगाल के अंदरूनी मामलों ने इसकी शक्ति को कमजोर किया पुर्तगाल में सम्राट निरंकुश था,धर्म के मामले में असहिष्णु और धर्मांध थे जिसकी वजह से इन्होने लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया ,डकैती और लूट मार को अपनी नीति का हिंसा बनाया,डचों और अंग्रेजों से संघर्ष करना पड़ा ,ब्राज़ील की खोज के बाद इनका भारत की ओर ध्यान कम हो गया ,पुर्तगाली ब्यापारियों पर पुर्तगाल के राजा का अत्यधिक नियंत्रण।
इन सब कुछ कारणों ने मिलकर पुर्तगालियों को भारत से बाहर कर दिया।
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