राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Right Commission )
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक निकाय है जिसका गठन संसद में पारित अधिनियम के तहत हुआ है मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 ये आयोग देश में मानवाधिकार का रक्षक है इसके स्थापना के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं -;
(1) उन संस्थागत ब्यवस्थाओं को मजबूत करना जिसके द्वारा मानवाधिकार की मुद्दे का पूर्णरूप से समाधान किया जा सके।
(2) अधिकारों के हनन को सरकार से स्वतंत्र रूप में देखना ताकि सरकार का ध्यान मानवाधिकारों की रक्षा की प्रतिबद्धता पर केंद्रित किया जा सके।
(3) इस डिसा में किये गए प्रयासों को ससक्त बनाना।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संरचना -
आयोग बहुसदस्यीय संस्था है जिसमे एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य होते हैं आयोग का अध्यक्ष भारत का कोई सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश होना चाहिए और एक सदस्य उच्चतम न्यायालय में कार्यरत या सेवा निवृत न्यायाधीश होना चाहिए एक उच्च न्यायलय का कार्यरत या सेवा निवृत मुख्य न्यायाधीश होना चाहिए और दो अन्य सदस्यों को मानवाधिकार सम्बंधित जानकारी होनी चाहिए इसके अलावा आयोग में चार अन्य पदेन सदस्य होते हैं अल्पसंख्यक,अनुसूचित जाति एवं जनजाति एवं महिला आयोग के अध्यक्ष।
आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की न्युक्ति राष्ट्रपति के द्वारा प्रधनमंत्री के नेतृत्व में गठित छः सदस्यीय सिमित की सिफारिस पर होती है और सिमित में प्रधानमंत्री,लोकसभा अध्यक्ष,राजयसभा का उप सभापति ,संसद के दोनों सदनों के विपक्षी दल के नेता एवं गृहमंत्री।
कार्यकाल -
आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्ष या 70 की उम्र तक का होता है जो भी पहले पूरा हो और कार्यकाल के बाद केंद्र एवं राज्य सरकार के अंतर्गत किसी पद के योग्य नहीं होते हैं राष्ट्रपति इन्हें किसी भी समय पद से हटा सकता है -;
वह दिवालिया हो जाए।
कार्यकाल के दौरान अपने कार्यक्षेत्र से बाहर किसी रोजगार में सम्मलित हो जाये।
मानशिक एवं शारीरिक कारणों से कार्य करने में असमर्थ हो।
न्यायालय द्वारा किसी अपराध का दोषी घोषित किया गया हो।
इसके अलावा राष्ट्रपति दुराचरण एवं अछमता के कारण पद से हटा सकता है पर इसके लिए राष्ट्रपति मामले को पहले उच्चतम न्यायालय के पास जांच हेतु भेजता है और दोषी पाए जाने पर उच्चतम न्यायालय की सलाह पर राष्ट्रपति इनको पद से हटा देता है
आयोग के कार्य -
(1) मानवाधिकार के उल्लंघन की जांच करना या किसी लोकसेवक के सामने प्रस्तुत मानवाधिकार उल्लंघन की प्रार्थना जिसकी वह अवहेलना करता हो उसकी स्वप्रेरणा या न्यायालय के आदेश से जांच करना।
(2) न्यायालय में लंबित किसी मानवाधिकार से सम्बंधित मामले में हस्ताक्षेप करना एवं जेल में जाकर वहाँ की स्थिति का अध्ययन करना।
(3) मानवाधिकार की रक्षा के लिए बनाये गए संवैधानिक उपबंधों की समीक्षा करना और इसके प्रभावी क्रियान्वन हेतु सिफारिस करना एवं उन सभी कारणों की समीक्षा करना मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है तथा बचाव के उपायों की सिफारिस करना।
(4) मानवाधिकार के क्षेत्र में शोध करना और इसको प्रोत्साहित करना एवं लोगों के बीच मानवाधिकार की जानकारी फैलाना और उनकी सुरक्षा हेतु उपलब्ध उपायों के प्रति जागरूकता फैलाना।
(5) ऐसे कार्यों को करना जो मानवाधिकार के प्रचार के लिए आवश्यक हो।
नोट -
आयोग का मुख्य कार्यालय दिल्ली में स्थित है और आयोग उन्ही मामलों की जांच कर सकता है जिसे घटित हुए एक वर्ष से कम हुआ हो और आयोग किसी भी मामले पर कदम उठाने की सिफारिस कर सकता है नाकि आदेश। मानवाधिकारों से सम्बंधित उल्लंघन की जांच हेतु आयोग का खुद का जांचदल इसके आलावा वह केंद्र या राज्य सरकार क किसी एजेंसी की मदत ले सकता है।
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