भारतीय अपवाह तंत्र (Indian dranage system ) सबसे पहले जानते हैं की अपवाह किसे कहते हैं तो जवाब है निश्चित वाहिकाओं के माध्यम से हो रहे जलप्रवाह को अपवाह कहते हैं और इन्हीं वाहिकाओं के जाल को अपवाह तंत्र कहते हैं। और इनका एक अपना स्वरुप होता है जिसमे मैं कुछ मुख्य अपवाह प्रतिरूप का उल्लेख्य करने जा रहा हूँ। (1) जो अपवाह प्रतिरूप पेंड़ की शाखाओं के सामान हो उसे वृक्षाकार प्रतिरूप कहा जाता है। (2) जब नदियाँ पर्वत से निकलकर सभी दिशाओं में बहती हैं उसे अरीय प्रतिरूप कहते हैं। (3) जब मुख्य नदियां एक दुसरे के सामानांतर बहती बहती हों और सहायक नदियां समकोण पे मिले तो ऐसे प्रतिरूप को जालीनुमा कहते हैं। (4) जब सभी दिशाओं से नदियाँ बहकर किसी झील में विसर्जित होती हैं टी इसे अभिकेंद्रिय प्रतिरूप कहते हैं। नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को अपवाह द्रोणी कहते हैं। और एक अपवाह द्रोणी से दुसरे को अलग करने वाली सीमा को जल विभाजक कहते हैं। और छोटी नदियों एवं नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को जल सांभर कहते हैं। भारतीय अपवाह तंत्र को विसर्जन के आधार पर दो भागों में
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