भारत की संरचना एवं भूआकार (उत्तर भारत का मैदान/Structure And Landscape Of India (Plane Of North India )
भारत की संरचना एवं भूआकार (उत्तर भारत का मैदान )
उत्तर भारत का मैदान सिंधु एवं गनगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के द्वारा बहाकर लाये गए जलोढ़ से बना है और उत्तर भारत के इस मैदान की पूर्व से पश्चिम लम्बाई 3200 किलोमीटर है और चौड़ाई 150 से 300 किलोमीटर है और इस जलोढ़ की गहराई 1000 से 2000 मीटर है और उतर से दक्षिण इस मैदान को तीन भाग में बाँट सकते हैं भाभर ,तराई,और जलोढ़ मैदान और जलोढ़ मैदान को दो भागों में बाँट सकते हैं पुराना जलोढ़ बांगर कहलाता है और नया जलोढ़ मैदान खादर कहलाता है।
भाभर -
यह 8 से 10 किलोमीटर चौड़ी पट्टी है जो शिवालिक के सामानांतर फैली हुई है हिमालय से निकलती हुई नदियां यहां पर अपने साथ लाये हुए कंकड़ पत्थर एवं शैल को जमा कर देती हैं और स्वयं इन कंकड़ पत्थर में लुप्त हो जाती हैं और भाभर के दक्षिण में तराई क्षेत्र हैं जहां भाभर में लुप्त नदियां फिर से धरातल पर निकल आती हैं तराई की चौड़ाई 10 से 20 किलोमीटर है तराई क्षेत्र बनस्पति से घिरा हुआ विभिन्न प्राणियों का घर है और तराई दक्षिण में मैदान है जोकि जलोढ़ निर्मित है।
उत्तर बहने वाली नदियां अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती हैं जिसमे सुंदरवन का डेल्टा उल्लेखनीय है जोकि गंगा और ब्रह्मपुत्र मिलकर बनाती हैं और हरियाणा एवं दिल्ली सिंधु और गंगा नदी तंत्र के बीच जल विभाजक है।
प्रायद्वीपीय पठार-
नदी मैदान से 150 मीटर ऊंचाई से ऊपर उठता हुआ प्राद्वीपीय पठार तिकोने आकार का भूखंड है जिसकी ऊंचाई 600 से 900 मीटर है और इसकी सीमा उतर पश्चिम में दिल्ली अरावली और पूर्व में राजमहल पहाड़ियां और पश्चिम में गिर पहाड़ी एवं दक्षिण में इलाइची कार्डामम पहाड़ी इसकी सीमा निर्धारित करती हैं और उत्तर पूर्व में सिलंग एवं कार्बी ऐंगलोंग पठार भी इसी का हिस्सा है। प्रायद्वीपीय पत्थर अनेक पठारों से निर्मित है जैसे - हजारीबाग पठार ,पालायु,रांची पठार, मालवा,कोयम्बटूर और कर्णाटक का पठार और इसकी ऊंचाई पश्चिम से पूर्व कम होती चली जाती है।
दक्कन का पठार -
इसके पश्चिम में पश्चिमी घात और पूर्व में पूर्वी घाट एवं उत्तर में सतपुड़ा मैकाल एवं महादेव पहाड़ियां हैं और पश्चिमी घाट को अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग नामों से जाना जाता है महाराष्ट्र में सह्याद्रि ,कर्नाटक और तमिलनाडू में नीलगिरि,केरल में अन्नामलाई पूर्वी घाट कीतुलना पश्चिमी घाट ऊँचे एवं अविरत हैं पश्चिमी घाट की सबसे ऊंची छोटी अनाईमुडी है जोकि अन्नामलाई पहाड़ी में स्थित है दूसरी डोडाबेटा है जो नीलगिरि में स्थित है पूर्वी घात अविरत नहीं है नदियों द्वारा इसको काटा गया है पूर्वी घाट में कुछ प्रमुख पर्वत श्रेणियां हैं जवादी,पालकोण्डा,नल्लामल्ला,और महेन्द्रगिरि हैं जिसमे महेन्द्रगिरि सबसे ऊंची है और पूर्वी एवं पश्चिमी घाट नीलगिरि में मिलते हैं।
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