पृथ्वी की आंतरिक संरचना कैसी है
पृथ्वी की धरातलीय संरचना मुख्यरूप से पृथ्वी के अंदर होने वाली प्रक्रियाओं का परिणाम है पृथ्वी की बाहरी एवं अंदर होने वाली प्रक्रियाएं पृथ्वी को आकार देती हैं इसलिए पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में जानना जरूरी है और पृथ्वी का निर्माण करने वाली भूपर्पटी से क्रोड तक सभी पदार्थ परत में बिभाजित हैं।
पृथ्वी की त्रिज्या 6370 किलोमीटर है और पृथ्वी की आंतरिक स्थिति के बारे में जानने के लिए विभिन्न स्रोतों का सहारा लेना पड़ता है।
भूकंप -
भूकंप एक प्राकृतिक घटना है जिसमे ऊर्जा निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर भूकंप लाती हैं वह स्थान जहां से ऊर्जा निकलती है भूकंप का उद्गम केंद्र कहलाता है जिसे अवकेंद्र भी कहा जाता है। और तरंगे पृथ्वी के धरातल पर सबसे पहले पहुँचती हैं अधिकेंद्र कहलाता है। और इसी स्थान पर भूकंप सबसे ज्यादा प्रभाव देखा जाता है। भूकम्पीय तरंगें दो प्रकार की होती हैं p तरंगे s तरंगे धरातल पर सबसे पहले p तरंगें पहुँचती हैं और ये तरंगें गैस,तरल,ठोस तीनों पदार्थ से गुजर सकती हैं और s तरंगें धरातल पर कुछ देरी से पहुँचती हैं और इसकी एक विषेशता है की ये केवल ठोस माध्यम से ही चलती है। और ये ज्यादा विनाशकारी होती हैं।
पृथ्वी की संरचना -
भूपर्पटी पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग है जिसमे जल्दी टूट जाने की प्रवित्त पायी जाती है जिसकी मोटाई महद्वीपों और महासागरों में अलग अलग है महासागरों में औसत मोटाई 5 किलोमीटर है और महाद्वीपों में 30 किलोमीटर है और हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में भूपर्पटी मोटाई 70 किलोमीटर तक है और भूपर्पटी के नीचे का भाग मैंटल कहलाता है जोकि 2900 किलोमीटर की गहराई तक पाया जाता है मैंटल का ऊपरी भाग दुर्बलतामंडल कहलाता है जिसका विस्तार 400 किलोमीटर है।
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